Tuesday, July 24, 2012

मनोज कुमार

मनोज कुमार का असली नाम नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी है मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 में एट्वाबाद(अब पकिस्तान) में हुआ था जब वह महज दस वर्ष के थे बटवारें की वज़ह से उनका पूरा परिवार राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में आकर बस गया। बचपन के दिनों में मनोज कुमार ने दिलीप कुमार की फिल्म शबनम देखी थी। फिल्म में दिलीप कुमार के किरदार का नशा मनोज कुमार पर चढ़ गया कि उन्होंने भी फिल्म अभिनेता बनने का फैसला कर लिया। मनोज कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा दिल्ली के मशहूर हिंदू कॉलेज से पूरी की। इसके बाद बतौर अभिनेता बनने का सपना लेकर वह मुंबई आ गये। बतौर अभिनेता मनोज कुमार ने अपने सिने करियर की शुरू आत वर्ष 1957 में रिलीज़ फिल्म फैशन से की। कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी।हिंदी फिल्म जगत में मनोज कुमार को एक ऐसे बहुआयामी कलाकार के तौर पर जाना जाता है जिन्होंने फिल्म निर्माण की प्रतिभा के साथ-साथ निर्देशन,लेखन,संपादन और बेजोड अभिनय से भी दर्शकों के दिल में अपनी खास पहचान बनायी है। वर्ष 1957 से 1962 तक मनोज कुमार फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे। फिल्म फैशन के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गये। इस बीच उन्होंने कांच की गुड़िया,रेशमी रूमाल,सहारा,पंयायत,सुहाग सिंदूर,हनीमून,पिया मिलन की आस जैसी कई बी ग्रेड फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बाक्स आफिस पर सफल नहीं हुयी। मनोज कुमार के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट की वर्ष 1962 में प्रदर्शित क्लासिक फिल्म हरियाली और रास्ता से चमका। फिल्म में उनकी नायिका की भूमिका माला सिन्हा ने निभायी। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फिल्म की कामयाबी ने मनोज कुमार को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया। आज भी इस फिल्म के सदाबहार गीत दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वर्ष 1964 में मनोज कुमार की एक और सुपरहिट फिल्म वह कौन थी प्रदर्शित हुई। फिल्म में उनकी नायिका की भूमिका साधना ने निभायी। बहुत कम लोगों को पता होगा कि फिल्म के निर्माण के समय अभिनेत्री के रूप में निम्मी का चयन किया गया था लेकिन निर्देशक राज खोसला ने निम्मी की जगह साधना का चयन किया। रहस्य और रोमांच से भरपूर इस फिल्म में साधना की रहस्यमय मुस्कान के दर्शक दीवाने हो गये। साथ ही फिल्म की सफलता के बाद राज खोसला का निर्णय सही साबित हुआ। साल 1965 में मनोज कुमार की सुपरहिट फिल्म गुमनाम और दो बदन भी रिलीज़ हुई। इस फिल्म में रहस्य और रोमांस के ताने-बाने से बुनी,मधुर गीत,संगीत और ध्वनि के कल्पनामय इस्तेमाल किया गया था। इस फिल्म में हास्य अभिनेता महमूद पर फिल्माया यह गाना’हम काले है तो क्या हुआ दिलवाले है’ दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था। साल 1965 में मनोज कुमार शहीद में भगत सिंह के किरदार में नजर आये, वर्ष 1967 में रिलीज़ फिल्म उपकार से मनोज कुमार निर्र्मता निर्देशक बने यह फिल्म स्व.प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान जय किसान के नारे पर आधारित थी, मनोज कुमार ने किसान की भूमिका के साथ ही जवान की भूमिका में भी दिखाई दिये। फिल्म में उनके चरित्र का नाम "भारत" था बाद में भारत कुमार के नाम फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हो गये। फिल्म में कल्याणजी आंनद जी के संगीत निर्देशन में पार्श्वगायक महेन्द्र कपूर की आवाज में गुलशन बावरा रचित यह गीत ‘मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरा-मोती’ श्रोताओं के बीच आज भी शिद्धत के साथ सुने जाते है। वर्ष 1970 में मनोज कुमार के निर्माण और निर्देशन में बनी एक और सुपरहिट फिल्म पूरब और पश्चिम प्रदर्शित हुयी। फिल्म के जरिये मनोज कुमार ने एक ऐसे मुद्दे को उठाया जो दौलत के लालच में अपने देश की मिट्टी को छोड़कर पश्चिम में पलायन करने को मजबूर है। वर्ष 1972 में मनोज कुमार के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म शोर प्रदर्शित हुई। वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म रोटी कपड़ा और मकान मनोज कुमार के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है। वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म दस नंबरी की सफलता के बाद मनोज कुमार ने लगभग पांच वर्षो तक फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। वर्ष 1981 में मनोज कुमार ने फिल्म क्रांति के जरिये अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की। मनोज कुमार ने अपने दौर के सभी नायकों और नायिकाओं के साथ काम किया,राजेंद्र कुमार और राजेश खन्ना के दौर में भी वो कामयाब रहे,1962 से लेकर 1981 तक सुपर हिट फ़िल्में देते रहे 1970 में पूरब और पश्चिम,यादगार,पहचान,1972 शोर, बेईमान,1974,रोटी कपडा और मकान 1975 सन्यासी,1976 द्स नम्बरी,1981 क्रांतिजैसी हिट फिल्मों में काम किया,मनोज कुमार अपने सिने करियर में सात फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये है। वर्ष 1967 में प्रदर्शित फिल्म उपकार के लिये उन्हें सर्वाधिक चार फिल्म फेयर पुरस्कार दिये गये जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म,निर्देशन,कहानी और डॉयलग का पुरस्कार शामिल है। इसके बाद वर्ष 1971 में प्रदर्शित फिल्म बेईमान,सर्वश्रेष्ठ अभिनेता 1974 में प्रदर्शित फिल्म रोटी कपड़ा और मकान,सर्वश्रेष्ठ निर्देशक,वर्ष 1998 में लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी मनोज कुमार को सम्मानित किया गया। साल 2004 में वे शिव सेना में शामिल हो गये थे मनोज कुमार के दो बेटे है विशाल जो गायक हैं दुसरे बेटे कुनाल ने कई फिल्मों में काम किया पर वे कामयाब नहीं हो सके, क्रांति के बाद उन्हें वो कामयाबी नहीं मिल सकी लिहाज़ा वो फिल्मों से दूर गये,अब्बा,नाना,दादा के रोल भी नहीं किये,उनकी फ़िल्में थी,1957 फैशन,पंचायत,1958 सहारा,1959 चाँद,1960 हनी मून,सुहाग सिन्दूर 1961 कांच की गुडिया, रेशमी रुमाल, 1962 हरियाली और रास्ता,डॉ विद्या,शादी,बनारसी ठग,माँ बेटा,पिया मिलन की आस,नकली नबाव,1963 अपना बना के देखो ,घर बसा के देखो ,ग्रहस्ती अपने हुए पराये 1964वोह कौन थी फूलों की सेज,१९६५ शहीद , हिमालय की गोद में,गुमनाम ,पूनम की रात,1966 दो बदन सावन की घटा,साजन,1967 पत्थर के सनम,अनीता,उपकार,1968 नील कमल,आदमी,1970 पूरब और पश्चिम ,मेरा नाम जोकर,यादगार,पहचान,1972 शोर,बेईमान,1974,रोटी कपडा और मकान 1975 सन्यासी,1976 द्स नम्बरी,1981 क्रांति,1987 कलयुग और रामायण 1989 संतोष,क्लर्क,1995मैदान-ऐ,जंग.

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