Friday, July 20, 2012

हरि भाई ज़रीवाला

महान कलाकार हरि भाई ज़रीवाला उर्फ संजीव कुमार का नाम फिल्मजगत की आकाशगंगा में एक ऐसे धुव्रतारे की तरह याद किया जाता है जिनके बेमिसाल अभिनय से सुसज्जित फिल्मों की रोशनी से बॉलीवुड हमेशा जगमगाता रहेगा.वे मूल रूप से गुजराती थे। उन्होंने नया दिन नयी रात फिल्म में नौ रोल किये थे। कोशिश फिल्म में उन्होंने गूंगे बहरे व्यक्ति का शानदार अभिनय किया था। शोले फिल्म में ठाकुर का चरित्र उनके अभिनय से अमर हो गया। संजीव कुमार का जन्म मुंबई में 9 जुलाई 1938 को एक मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था। इनका असली नाम हरि भाई ज़रीवाला था. इनका पैतृक निवास सूरत था, बाद में इनका परिवार मुंबई आ गया. वह बचपन से हीं फिल्मों में बतौर अभिनेता काम करने का सपना देखा करते थे। फिल्म के प्रति जुनून इन्हें भारतीय फिल्म उद्योग ले आया. अपने जीवन के शुरूआती दौर मे रंगमंच से जुड़े और बाद में उन्होंने फिल्मालय के एक्टिंग स्कूल में दाखिला लिया। इसी दौरान वर्ष 1960 में उन्हें फिल्मालय बैनर की फिल्म हम हिन्दुस्तानी में एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौका मिला। जहाँ ये एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता बने. ये आजीवन कुंवारे रहे और मात्र 47 वर्ष की आयु में 6 नवम्बर 1985 को हृदय गति के रुक जाने से इनकी मृत्यु हुई. ये अपने व्यव्हार, विशिष्ट अभिनय शैली के लिए जाने जाते है. संजीव कुमार ने विवाह नहीं की परन्तु प्रेम कई बार किया था. इनका नाम हेमा मालिनी और सुलक्षना पंडित के साथ जुड़ा, इन्हें यह अन्धविश्वास था की इनके परिवार में बड़े पुत्र के 10 वर्ष का होने पर पिता की मृत्यु हो जाती है. इनके दादा, पिता, और भाई के साथ यह हो चुका था. संजीव कुमार ने अपने दिवंगत भाई के बेटे को गोद लिया और उसके दस वर्ष का होने पर उनकी मृत्यु हो गयी ! संजीव कुमार भोजन के बहुत शौक़ीन थे. बीस वर्ष की आयु में गरीब माध्यम वर्ग के इस युवा ने रंगमच में कम करना शुरू किया. इन्होने छोटी भूमिकाओ से कोई परहेज नहीं किया. एच.अस.रवैल की 'संघर्ष' में दिलीप कुमार की बाँहों में दम तोड़ने का दृश्य इतना शानदार किया की अभिनय सम्राट भी सकते में आ गए. सितारा हो जाने के बावजूद भी उन्होंने कभी नखरे नहीं किये. इन्होने जया बच्चन के स्वसुर, प्रेमी, पिता, पति की भूमिकाएँ भी निभाई. जब लेखक सलीम ख़ान ने इनसे त्रिशूल में अपने समकालीन अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के पिता की भूमिका निभाने का अगढ़ किया तो उन्होंने बेझिजक यह भूमिका इस शानदार ढंग से निभाई की उन्हें ही केंद्रीय पत्र मान लिया गया. इन्होंने बीस वर्ष की आयु में वृद्ध आदमी की भूमिका इतनी खूबी से निभाई कि पृथ्वीराज कपूर देखकर दंग रह गए.संजीव कुमार ने अपने करिअर की शुरुआत 1960 में बनी फिल्म हम हिन्दुस्तानी में दो मिनट की छोटी-सी भूमिका से की। वर्ष 1962 में राजश्री प्रोडक्शन की निर्मित फिल्म आरती के लिए उन्होंने स्क्रीन टेस्ट दिया जिसमें वह पास नही हो सके। इसके बाद उन्हें कई बी-ग्रेड फिल्में मिली। इन महत्वहीन फिल्मों के बावजूद अपने अभिनय के जरिये उन्होंने सबका ध्यान आकर्षित किया। सर्वप्रथम मुख्य अभिनेता के रूप में संजीव कुमार को वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म निशान में काम करने का मौका मिला। वर्ष 1960 से वर्ष 1968 तक संजीव कुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। फिल्म हम हिंदुस्तानी के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गए। इस बीच उन्होंने स्मगलर, पति-पत्नी, हुस्न और इश्क, बादल, नौनिहाल और गुनहगार जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई। वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म शिकार में वह पुलिस ऑफिसर की भूमिका में दिखाई दिए। यह फिल्म पूरी तरह अभिनेता धर्मेन्द्र पर केन्द्रित थी फिर भी सजीव कुमार धर्मेन्द्र जैसे अभिनेता की उपस्थिति में अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें सहायक अभिनेता का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला। वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म संघर्ष में उनके सामने हिन्दी फिल्म जगत के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार थे लेकिन संजीव कुमार अपनी छोटी सी भूमिका के जरिए दर्शकों की वाहवाही लूट ली। इसके बाद आशीर्वाद, राजा और रंक, सत्याकाम और अनोखी रात जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिए संजीव कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां वह फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे। वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म खिलौना की जबर्दस्त कामयाबी के बाद संजीव कुमार बतौर अभिनेता अपनी अलग पहचान बना ली। वर्ष 1970 में ही प्रदर्शित फिल्म दस्तक में उनके लाजवाब अभिनय के लिए वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कि या गया। वर्ष 1972 में प्रदर्शित फिल्म कोशिश में उनके अभिनय का नया आयाम दर्शकों को देखने को मिला। फिल्म कोशिश में गूंगे की भूमिका निभाना किसी भी अभिनेता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। बगैर संवाद बोले सिर्फ आंखों और चेहरे के भाव से दर्शकों को सब कुछ बता देना संजीव कुमार की अभिनय प्रतिभा का ऐसा उदाहरण था जिसे शायद ही कोई अभिनेता दोहरा पाए। इन्होंने दिलीप कुमार के साथ संघर्ष (1968) फिल्म में काम किया. फिल्म खिलौना ने इन्हें स्टार का दर्जा दिलाया. इसके बाद इनकी हिट फिल्म सीता और गीता (1972) और मनचली (1973) प्रदर्शित हुईं.70 के दशक में इन्होने गुलज़ार जैसे दिग्दर्शक के साथ काम किया. इन्होने गुलज़ार के साथ कुल 9 फिल्मे की जिनमे आंधी (1975), मौसम (1975), अंगूर (1982), नमकीन (1982) प्रमुख है. इनके कुछ प्रशंसक इन फिल्मों को इनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्मो में से मानते है. फिल्म शोले (1975) में इनसे अभिनीत पात्र ठाकुर आज भी लोगो के दिलो में ज़िंदा है जो मिमिक्री कलाकारों के लिए एक मसाला है.संजीव कुमार के दौर में राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, शम्मी कपूर, दिलीप कुमार जैसे अभिनेता छाए हुए थे, लेकिन अपने सशक्त अभिनय से उन्होंने अपना स्थान बनाया।

वर्ष फ़िल्म
1993 प्रोफेसर की पड़ोसन रिलीज़ मृत्यु के बाद
1987 राही रिलीज़ मृत्यु के बाद
1986 कत्ल रिलीज़ मृत्यु के बाद
1986 काँच की दीवार रिलीज़ मृत्यु के बाद
1986 लव एंड गॉड रिलीज़ मृत्यु के बाद
1986 हाथों की लकीरें रिलीज़ मृत्यु के बाद
1986 बात बन जाये रिलीज़ मृत्यु के बाद
1985 राम तेरे कितने नाम रिलीज़ मृत्यु के बाद
1985 ज़बरदस्त
1984 लाखों की बात
1984 मेरा दोस्त मेरा दुश्मन
1984 पाखंडी
1984 बद और बदनाम
1984 यादगार
1983 हीरो
1982 अंगूर
1982 सवाल
1982 सुराग
1982 हथकड़ी
1982 अय्याश
1982 खुद्दार
1982 लोग क्या कहेंगे
1982 नमकीन
1982 श्रीमान श्रीमती
1982 सिंदूर बने
1982 विधाता
1981 दासी
1981 इतनी सी बात
1981 बीवी ओ बीवी
1981 चेहरे पे चेहरा
1981 लेडीज़ टेलर
1981 वक्त की दीवार
1981 सिलसिला
1980 हम पाँच कृष्ण
1980 ज्योति बने ज्वाला
1980 अब्दुल्ला
1980 बेरहम
1980 फ़ौजी चाचा पंजाबी फिल्म
1980 पत्थर से टक्कर
1980 स्वयंवर
1980 टक्कर
1979 काला पत्थर
1979 गृह प्रवेश
1979 हमारे तुम्हारे
1979 बॉम्बे एट नाइट
1979 घर की लाज
1979 जानी दुश्मन
1979 मान अपमान
1978 त्रिशूल
1978 देवता
1978 मुकद्दर
1978 पति पत्नी और वो
1978 सावन के गीत
1978 स्वर्ग नर्क
1978 तृष्णा डॉक्टर
1978 तुम्हारे लिये
1977 मुक्ति
1977 शतरंज के खिलाड़ी
1977 यही है ज़िन्दगी
1977 ईमान धर्म
1977 आलाप
1977 अंगारे
1977 अपनापन
1977 धूप छाँव
1977 दिल और पत्थर
1977 पापी
1977 विश्वासघात
1976 ज़िन्दगी
1976 अर्जुन पंडित
1976 दो लड़कियाँ
1975 मौसम
1975 फ़रार
1975 शोले
1975 आक्रमण
1975 आँधी
1975 अपने दुश्मन
1975 अपने रंग हज़ार
1975 धोती लोटा और चौपाटी
1975 उलझन आनंद
1974 कुँवारा बाप
1974 आप की कसम
1974 मनोरंजन हवलदार
1974 अर्चना
1974 चरित्रहीन
1974 चौकीदार डॉक्टर श्याम
1974 दावत
1974 ईमान
1974 नया दिन नई रात १० विभिन्न पात्र निभाए (नायक सहित)
1974 शानदार
1973 अनहोनी
1973 अग्नि रेखा
1973 अनामिका
1973 दूर नहीं मंज़िल
1973 मनचली
1973 सूरज और चंदा
1972 परिचय
1972 कोशिश
1972 रिवाज़
1972 सबसे बड़ा सुख
1972 सीता और गीता
1972 सुबह ओ श्याम
1971 अनुभव
1971 एक पहेली
1971 कंगन
1971 मन मन्दिर
1971 पारस
1970 बचपन
1970 दस्तक
1970 देवी
1970 गुनाह और कानून
1970 इंसान और शैतान
1970 खिलौना
1970 माँ का आँचल
1970 प्रिया
1969 बंधन
1969 चंदा और बिजली
1969 धरती कहे पुकार के
1969 ग़ुस्ताखी माफ़
1969 इन्साफ का मन्दिर
1969 जीने की राह
1969 ज्योति
1969 सच्चाई
1969 सत्यकाम
1968 गौरी
1968 अनोखी रात
1968 राजा और रंक
1968 आशीर्वाद
1968 संघर्ष
1968 शिकार
1968 साथी
1966 हुस्न और इश्क
1966 बादल
1966 कालपी
1966 स्मगलर
1966 पति पत्नी
1965 निशान
1960 हम हिन्दुस्तानी

1970- राष्ट्रीय पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता -दस्तक
1977 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - अर्जुन पंडित
1976 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आँधी
1968 फिल्म फेयर अवार्ड सहायक अभिनेता- शिकार

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