Tuesday, July 19, 2016

कभी तनहाइयों में यूँ हमारी याद आएगी


स्वप्निल संसार। हिंदी सिनेमा में  शमशाद  बेगम, सुधा  मल्होत्रा, कमल  बारोट, उषा  मंगेशकर, रुमागुहा ठाकुरता,जगजीत कौर,सुमन कल्याणपुर,शारदा ने मंगेशकर बैरियर पार करने की कोशिश की पर इन सब को कामयाबी नहीं मिली,ऐसा ही एक नाम और है मुबारक बेगम का,मुबारक बेगम भी इस बैरियर को पार नहीं कर सकी,मुबारक बेगम के बारे में बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं है मसलन वो कब चुरू से बम्बई आई पहली बार किस फिल्म के लिए गाना गया ? उनकी पैदाइश 1940 की बताई जाती है फिल्मों में आने से पहले वो औल इंडिया रेडियो पर गाती थी और 1953 में फिल्म दायरा के लिए उन्होंने गीत गाये थी, ज़ाहिर है की 13 साल की उम्र में तो यह सब नहीं किया होगा,मुबारक बेगंम की पैदाइश सुजान गढ़(चुरू) राजस्थान में हुई थी ऐसा कहा जाता है पर खुद उन्होंने एक बार बताया था की अहमदाबाद में उनके पिता जी फल का कारोबार करते थे।
 मुबारक बेगम ने औल इंडिया रेडियो से अपने कैरियर की शुरुआत की थी सुगम संगीत से और 1950 के दशक में हिंदी फिल्मों में गाने का मौक़ा मिल गया,कभी  तनहाइयों  में  यूँ " केदार शर्मा की फिल्म :हमारी  याद आएगी (1961) गीत लिखा था केदार शर्मा ने,कम्पोजर थे  स्नेहल  भाटकर यह गीत हिंदी सिनेमा गीतों के इतिहास में  classic के तौर पर हमेशा के लिए दर्ज़ हो चुका है,मुबारक बेगम ने अपने  कैरियर की  शुरुआत शायद कमाल  अमरोही की फिल्म "दायरा"(1953) से  थी  "देवता तुम हो मेरा सहारा" इस गाने में उनके साथ थी लता मंगेशकर.1955 में बिमल राय की देवदास में उनको एसडी बर्मन "वो ना आएंगे  पलट कर" गाने का मौक़ा मिला, बिमल रॉय की मधुमति 1958 में हम हाल-ऐ-दिल सुनायेगे,सलिल चौधरी कम्पोजर थे "मुझको अपने लगा लो ऐ मेरे हमराही" फिल्म हमराही (1963) में मो.रफी के साथ  शंकर - जयकिशन कम्पोजर थे लगभग 53 साल के बाद भी यह गाना आज भी अच्छा लगता है.मुबारक बेगम ने  शंकर- जयकिशन, एसडी बर्मन, सलिल चौधरी, कल्याणजी - आनंदजी, खय्याम, नौशाद, मदन मोहन और नाशाद की धुनो पर गाने गाये, बॉलीवुड की  क्रूर आंतरिक राजनीति और "मंगेशकर बैरियर की वज़ह से वो मुकाम नहीं हासिल कर सकी जिसकी वो हकदार थी,1970 के आस पास को हार गयी,अब से कई साल पहले  जावेद अख्तर और  सुनील दत्त, (अब मरहूम ) ने मुबारक बेगम की सुधि ली और  मुंबई के जोगेश्वरी  में एक सरकारी मकान उन्हें एलाट करवा के दिया था जहाँ  वो  अपने बेटे और  बीमार बेटी शफक बानो के साथ रह रही थी जो  अपाहिज है और पार्किंसंस रोग से ग्रस्त है. उनका बेटा टैक्सी चलाता है,पिछले कुछ सालों से मुबारक बेगम खुद भी बीमार रहने लगी थीं ,महाराष्ट्र सरकार ने अक्तूबर 2011 में  बीमार बुजुर्ग मुबारक बेगम के इलाज के लिए एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर थी  "मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने  मुख्यमंत्री राहत कोष से एक लाख की वित्तीय सहायता दी थी ,मुबारक बेगम को सरकारी मकान के अलावा  1400/-रूपये की पेंशन भी जावेद अख्तर और सुनील दत्त, (अब मरहूम ) ने बंधवा दी थी, दत्त साहब के इंतकाल के बाद सुना है  की अक्सर जावेद अख्तर साहब मुबारक बेगम की खोज खबर लेते रहते है कुछ एन.आर.आई और लोग भी उनकी मद्दद कर देते थे  उनके बैंक  अकाउंट में रूपये जमा करवा देते थे।
 2004 में और 2006 में मुबारक बेगम के कई गानों के रिमिक्स एल्बम रिलीज़ हुए जिन्हें संगीत प्रेमियों ने हाथों हाथ लिया था,कई म्यूजिक कम्पनियों ने मुबारक बेगम के गाने रिमिक्स एल्बम की शक्ल में बाज़ार में में उत्तार दिए,मुबारक बेगम अपनी गजलों के लिए हमेशा याद रहेंगी, 1980 में अलबम "रामू तो दीवाना है" के लिए सवारिया तेरी याद में उन्होंने आखिरी बार गाया,कई सालों से वो मुफलिसी और गुमनामी की ज़िंदगी जी रही थी।  
मुबारक बेगम ने 18   जुलाई 2016 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। फ़िल्मी दुनिया से सिर्फ रज़ा मुराद ही उनकी मिट्टी में शामिल हुए। हाल के सालों में सलमान खान भी उनकी आर्थिक मदद किया करते थे।
मुबारक बेगम के कुछ मशहूर गाने ,"शमा  गुल  करके  न  जा "अरब का सितारा (1960),"कभी  तनहाइयों  में  हमारी  याद  आएगी" (हमारी  याद  आयेगी 1961 ),"आयजी  आयजी  याद  रखना  सनम" (डाकू  मंसूर 1961),"नींद  उड़  जाए  तेरी  चैन  से  सोने  वाले" (यह  दिल  किसको  दूं 1963)
"मुझ  को  अपने  गले  लगा लो " (हमराही 1963 ) हमें  दम दएके" ( यह दिल किसको दूं 1963) ,"ए  दिल  बता ' (खूनी  खज़ाना 1964 )
"कुछ  अजनबी  से  आप  हैं " शगुन 1964 "बे -मुरव्वत  बे -वफ़ा  बेगाना -ऐ  दिल  आप  हैं " (सुशीला  1966) सावरिया  तेरी  याद  में "रामू तो दीवाना है (1980)