Tuesday, July 26, 2011

Sunday, July 24, 2011

Sophia Loren....An Italian Beauty

बेमिसाल सोफिया लारेन

सोफिया लारेन हौलीवुड की एक ऐसी अदाकारा हैं,जिनका नाम आज भी इज्ज़त से लिया है १९५० में अपना फ़िल्मी सफ़र शुरू करने वाली सोफिया लारेन ने हौलीवुड में अपना एक अलग ही मुकाम बनाया था,बेमिसाल एक्टिंग,एक्टिंग खुबसूरत और बेमिसाल करेक्टर, हौलीवुड जहाँ सुबह शुरू ही प्रेम कथा शाम तक ख़त्म हो जाती है वही सोफिया लारेन ने एक पुरुष से प्यार और उसी से शादी की अनोखी मिसाल बना थी जिस पर आज भी उनका ही हक़ है,1950 से 1960 के बीच उनकी कुल 48 फिल्में रिलीज़ हुई,1961 से 2011 तक कुल 46 फिल्म आई Sophia Loren: Her Own Story 1980 में रिलीज़ हुई थी ,१९५० और १९५१ के बीच सोफिया लारेन को छोटे-२ रोल मिलते थे कहीं भीड़ में कहीं बार में तो कभी किसी आफिस में दिखाई देती थी Two Nights with Cleopatra
से पूरी दुनिया में शोहरत मिली सोफिया लारेन की मुलाकात 1950 में कार्लो Ponti से हुई थी तब सोफिया महज़ 15 साल की थी और कार्लो Ponti 37 साल के थे इन दोनों ने 17 सितंबर, 1957 को शादी कर ली. हालांकि, कार्लो Ponti ने आधिकारिक तौर पर इतालवी कानून के तहत अपनी पहली पत्नी Giuliana से तलाक नहीं लिया था लिहाज़ा उनकी शादी 1962 में रद्द हो गयी और वे द्विविवाह के आरोपों से बच गये थे, 1965 में, कार्लो Ponti को पानी पहली पत्नी Ponti Giuliana से तलाक मिला फ्रांस में और 9 अप्रैल, 1966 को सोफिया लारेन, कार्लो Ponti ने शादी कर ली बाद में कार्लो Ponti फ्रांसीसी नागरिक बन गए थे तब फ्रांस के राष्ट्रपति जार्ज Pompidou थे तमाम दिक्कतों के बाद सोफिया लारेन कार्लो Ponti की यह बेमिसाल जोड़ी बनी रही,सोफिया लारेन के दो बेटे हैं कार्लो Ponti जूनियर (जन्म 29 दिसंबर, 1968) और Edoardo Ponti (जन्म 6 जनवरी, 1973):उसका जी बेटियों साशा अलेक्जेंडर और एंड्रिया Meszaros हैं सोफिया लोरेन के तीन पोते है. लूसिया Ponti (जन्म 12 मई, 2006), विटोरियो Ponti (जन्म3 अप्रैल, 2007) . और लियोनार्डो Fortunato (जन्म 20 दिसंबर, 2010) सोफिया Loren और कार्लो Ponti का साथ 10 जनवरी, 2007 तक बना रहा,कार्लो Ponti कई बीमारियों के चलते कमज़ोर हो चुके थे,बीमारियाँ ही कार्लो Ponti की मौत की वजह बन गयी थी...............1..........

Saturday, July 23, 2011

वक्त ने किया क्या हंसी सितम

1995 के बाद सब बदलने की शुरुआत हो चुकी थी,गुलाबो,सिताबो ना जाने कब गायब हो चुकी थी,सर्कस का दम निकल चुका था,इवनिंग शो और नाईट पिट गये थे,सुबह अखबार की ख़बरें अब हर मिनट में न्यूज़ चेनल पर मौजूद रहने लगी थी,अब मल्टीप्लेक्स का दौर है,जल्दी ही सिंगल विंडो सिनेमा हाल का अंत होने जा रहा है,अकेले लखनऊ में,नाज़ अशोक,प्रकाश,ओडियन,अलंकार,शिल्पी,आनंद,तुलसी,प्रिंस,कैपिटल,जयहिंद,मेहरा,जगत,निशात,किर्श्न्ना,सुदर्शन,बसंत,मेफेयर,अतीत का हिस्सा बन चुके है,जल्द ही मिट जायेगा रहे सहे सिनेमा हाल का वजूद.अगर मनोरंजन कर कम दिया गया होता तो यह तस्वीर दूसरी होती.कई सिनेमा हाल ऐसे हैं जिनकी यादें हमेशा जेहन में रहेंगी,मेफेयर में कई साल तक इंग्लिश फ़िल्में ही लगती रही तो नाज़,अशोक,प्रकाश,मेहरा,जगत,किर्श्न्ना,सुदर्शन में 2nd RUN की फिल्में ही लगी,मेहरा ने 22 या 23 हफ्ते में चल रही फिल्म को खरीद के अपने यहाँ चलाया,जब सिल्वर जुबली की TROPHY आई तो उसमें मेहरा सिनेमा का नाम होता था,कई फिल्मों की सिल्वर,गोल्डेन,DIAMOND जुबली की फेहरिस्त में सबसे पहला नाम मेहरा सिनेमा हाल का था,पाकीज़ा पिट चुकी थी,पर 31 मार्च 1972 को हुई मीना कुमारी की मौत ने पाकीज़ा को हिट कर दिया,मेफेयर में सिल्वर जुबली हफ्ते में दुपट्टे बांटे गये थे.तीसरी कसम का दिवाला निकल गया पहले हफ्ते में फिल्म पिट गयी,निर्माता और गीतकार शेलेन्द्र को दिल का दौरा पड़ गया,क्योंकि वो अपनी जीवन भर की कमाई तीसरी कसम में लगा चुके थे,शेलेन्द्र की मौत के बाद "कैपिटल" में तीसरी कसम ने 50 हफ्ते पूरे किये थे,लीला,कैपिटल,गुलाब में एक साथ 6 जुलाई 1980 को रिलीज़ हुई थी,फ़िरोज़ खान की "कुर्बानी".एक दो साल एक ही सिनेमा हाल में एक ही फिल्म लगी रहती थी उस दौर में फिल्मिस्तान कम्पनी ने पूरे भारत में कई शहरों में सिनेमा हाल बनवाये जिनमें एक लखनऊ में था यह 1979 तक वजूद में रहा,क्योंकि फिल्मिस्तान कम्पनी लगातार चल घाटे के चलते अपना बोरिया बिस्तर समेट रही थी,फिल्मिस्तान कम्पनी खुद की बनाई गयी फिल्मों को सबसे पहले अपने सिनेमा हाल में रिलीज़ करती थी,फिल्मिस्तान में कई साल तक उनकी खुद की बनाई गयी फिल्म "नागिन" का प्रदर्शन होता रहा फिल्मिस्तान बिक गया और इसे नयी शक्ल और सूरत मिली,नयी फिल्म के साथ "अमरदीप" अब इस हाल का नाम है "साहू" .
"फिल्मस्तान" के बाद वाली बिल्डिंग में था "प्रिंस" किसी भी नए आने वाले के लिए एक ही बिल्डिंग में थे दोनों सिनेमा हाल,जब की ऐसा नहीं था,बायीं तरफ प्रिंस में लगी फिल्म के पोस्टर, तो दाहिनी तरफ फिल्मस्तान में लगी फिल्म के पोस्टर लगे रहते थे,फिल्मिस्तान के बाद वाली बिल्डिंग प्रिंस सिनेमा हाल की थी,वक्त का हंसी सितम प्रिंस सिनेमा हाल पर कहर बन कर टूटा,प्रिंस भी लगातार चल रहे घाटे के बिक गया और टूट गया,अब यहाँ है "प्रिंस मार्केट "......जारी है.....