ऐतहासिक धरोहर बख्शी का तालाब
तालाब का निर्माण 1226 हिजरी यानि सन 1805 में तत्कालीन अवध के राजा नवाब त्रिपुर चन्द्र बख्शी पुत्र मजलिस राम तालाब ने शुरू कराया था बख्शी जी ने भव्य तालाब के साथ साथ श्री बांके बिहारी,मंदिर एवम शिव मंदिर का भी निर्माण कराया था उस समय की नायब वास्तुकला की झलक है, तालाब,मंदिर व बारादरियों की तामीर 1236 हिजरी यानी सन 1815 में पूरा हुआ निर्माण पर उस वक्त तीन करोड़ 56 लाख रूपये चांदी के खर्च हुए थे इस तामीर के बाद इस गुमनाम जगह को नाम मिला ‘बख्शी का तालाब’ जो आज भी कायम है कहा जाता है की बख्शी जी ने अवध के चौथे बादशाह नवाब अमजद अली शाह 17 मई 1842 13 फरवरी 1847 को बताये बिना तालाब की तामीर कराई थी लिहाज़ा वो नाराज़ हो गये थे यह नाराज़गी राजा त्रिपुर चन्द्र बख्शी को मंहगी पड़ी बादशाह नवाब अमज़द अली शाह की फौज ने राजा त्रिपुर चन्द्र बख्शी पर हमला कर दिया तब ब्राहम्ण सेना ने पंडित जगन्नाथ शुक्ला की कयादत में शाही फौज का सामना किया था राजा त्रिपुर चन्द्र बख्शी भूमिगत हो गये और वो अपने गुरु महाराज के पास वृन्दावन पहुँच गये और अपने गुरु बंशी लाल महाराज को यह तालाब दान कर दिया श्री बाके बिहारी मंदिर का जी उन्ही के वंशज सरन बिहारी गोस्वामी ने करवाया जबकी शिव मंदिर का काया कल्प सन 1998-1999 में गाय वाले बाबा ने कराया 1997 में सूबे के तब के मुख्यमंत्री कन्याण सिंह ने तालाब के लिए 20 लाख रूपये दिए साल 2001 में का काम शुरू हुआ वक्त बीत गया कई सरकारें बदली विधायक भी बदले पर थोडा बहुत बदलाव होता रहा,आज भी बख्शी का तालाब को इंतज़ार है पूरी तरह से बदलाव का,इस खूबसूरत प्राचीन विरासत संरचना तालाब के साथ चार पक्षों और आठ ऐतिहासिक घाटों पर आधारित है, इसके अलावा, आप दो कृष्ण और शिव मंदिर तालाब परिसर पर स्थित देख सकते हैं, यहाँ बख्शी का तालाब वायुसेना स्टेशन स्थित है- बख्शी का तालाब से कुछ किलोमीटर की दूरी पर चंद्रिका देवी का मंदिर ‘कठवारा’ में है ललिता देवी मंदिर ‘सोनवा’ ,ब्रहम बड़ा मंदिर ‘नागुवामा’ और ठाकुर द्वारा बख्शी का तालाब मंे मौजूद हैं आज ‘बख्शी का तालाब’ विधान सभा छेत्र है 2007 के विधान सभा चुनाव तक यह इलाका महोना विधान सभा इलाके के नाम से जाना जाता था 2012 से बख्शी का तालाब के नाम से विधान सभा छेत्र है,बख्शी का तालाब सूबे की सबसे छोटी तहसील और सबसे बड़े ब्लाक के लिए भी जाना जाता हैं,तीन साल पहले यहाँ रामलीला होती थी जिसमें मुस्लिम किरदार ज्यादा हुआ करते थे धन की कमी और स्थानीय राजनीति के चलते यह रामलीला बंद हो गयी,‘बख्शी का तालाब’ इस धरोहर की रक्षा कौन करेगा ?
(c)संजोग वाल्टर
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