Tuesday, October 23, 2012

ऐतहासिक धरोहर बख्शी का तालाब


ऐतहासिक धरोहर बख्शी का तालाब
तालाब  का निर्माण 1226 हिजरी यानि सन 1805 में तत्कालीन अवध के राजा  नवाब  त्रिपुर  चन्द्र बख्शी पुत्र मजलिस राम तालाब  ने शुरू कराया था बख्शी जी ने भव्य तालाब के साथ साथ श्री बांके बिहारी,मंदिर एवम शिव मंदिर का भी निर्माण कराया था उस समय की नायब वास्तुकला की झलक है, तालाब,मंदिर व बारादरियों की तामीर 1236 हिजरी यानी सन 1815 में पूरा हुआ निर्माण पर उस वक्त तीन करोड़ 56 लाख रूपये चांदी के खर्च हुए थे इस तामीर के बाद इस गुमनाम जगह को नाम मिला ‘बख्शी का तालाब’ जो आज  भी कायम है कहा जाता है की बख्शी जी ने अवध के चौथे बादशाह नवाब अमजद अली शाह  17 मई  1842  13 फरवरी 1847 को बताये बिना तालाब की तामीर कराई थी लिहाज़ा वो नाराज़ हो गये थे यह नाराज़गी   राजा त्रिपुर  चन्द्र बख्शी को मंहगी पड़ी बादशाह नवाब अमज़द अली शाह  की फौज ने राजा त्रिपुर  चन्द्र बख्शी पर हमला कर दिया तब ब्राहम्ण सेना ने पंडित जगन्नाथ शुक्ला  की कयादत में शाही फौज का सामना किया था राजा त्रिपुर  चन्द्र बख्शी भूमिगत हो गये और वो अपने गुरु महाराज के पास वृन्दावन पहुँच गये और अपने गुरु बंशी लाल महाराज को यह तालाब दान कर दिया श्री बाके बिहारी मंदिर का जी उन्ही के वंशज सरन बिहारी गोस्वामी ने करवाया जबकी शिव मंदिर का काया कल्प सन 1998-1999 में गाय वाले बाबा ने कराया 1997 में सूबे के तब के मुख्यमंत्री कन्याण सिंह ने तालाब के लिए 20 लाख रूपये दिए साल 2001 में का काम शुरू हुआ वक्त बीत गया कई सरकारें बदली विधायक भी बदले पर थोडा बहुत बदलाव होता रहा,आज भी बख्शी का तालाब  को इंतज़ार है पूरी तरह से बदलाव का,इस खूबसूरत प्राचीन विरासत संरचना तालाब के साथ चार पक्षों और आठ ऐतिहासिक   घाटों पर आधारित है, इसके अलावा, आप दो कृष्ण और शिव मंदिर तालाब परिसर पर स्थित देख सकते हैं,  यहाँ बख्शी का तालाब वायुसेना स्टेशन स्थित है- बख्शी का तालाब  से कुछ किलोमीटर की दूरी पर  चंद्रिका देवी का मंदिर ‘कठवारा’ में है  ललिता  देवी मंदिर ‘सोनवा’ ,ब्रहम बड़ा मंदिर ‘नागुवामा’ और  ठाकुर  द्वारा बख्शी का तालाब मंे मौजूद हैं आज ‘बख्शी का तालाब’ विधान सभा छेत्र है 2007 के  विधान सभा  चुनाव तक यह इलाका महोना विधान सभा इलाके के नाम से जाना जाता था 2012 से बख्शी का तालाब  के नाम से विधान सभा छेत्र है,बख्शी का तालाब  सूबे की सबसे छोटी तहसील और सबसे बड़े ब्लाक के लिए भी जाना जाता हैं,तीन साल पहले यहाँ रामलीला होती थी जिसमें मुस्लिम किरदार ज्यादा हुआ करते थे धन की कमी और स्थानीय राजनीति के चलते यह रामलीला बंद हो गयी,‘बख्शी का तालाब’ इस धरोहर की रक्षा कौन करेगा ?
(c)संजोग वाल्टर

Saturday, October 20, 2012

एक जन्म दिन ऐसा भी

एक जन्म दिन ऐसा भी
कमल सडाना जन्म 21 अक्टूबर 1971 पिता बृज बीते दौर के नामी निर्माता निदेशक और लेखक थे,माँ सईदा खान बीते दौर की हेरोइन,कमल के बारे में बताने से पहले बृज और सईदा खान के बारे में ब्रज गुजरांवाला,पंजाब, पाकिस्तान 6 अक्टूबर
1933 मैं पैदा हुए थे जिनका असली नाम था बृज मोहन सडाना, हिंदी सिनेमा में इस परिवार ने कई कलाकार दिए हैं बृज ने अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत 1952 में भूले भटके से कई थी,बृज ने कई सुपर हिट और यादगार फ़िल्में दी,1959 नई राहें, 1960 तू नहीं और सही, 1963 उस्तादों के उस्ताद, 1966, अफसाना,यह रात फिर ना आयगी, 1967 नाईट इन लन्दन,1969 यकीन,,दो भाई,1971 कठपुतली, 1972 विक्टोरिया न.203,1974 पैसे की गुडिया, 1975 चोरी मेरा काम,1976 एक से बढ़कर एक, 1979 मगरूर 1980 Bombay 405 माइल्स,1981 प्रोफेसर प्यारेलाल,1983 तक़दीर,1985 ऊंचे लोग,1988 मर्दों वाली बात.सईदा खान ने 1949 में फिल्म चांदनी रात से बतौर बाल कलाकार अपने करियर की शुरुआत की थी ,शायद उनकी पहली फिल्म बतौर हेरोइन1960 में रिलीज़ हुई फिल्म अपना हाथ जगन्नाथ ,हीरो थे किशोर कुमार , हनीमून 1961 हम मतवाले नौजवान ,मॉडर्न गर्ल ,कांच की गुडिया ,वांटेड ,1962 मैं शादी करने चला, Flat No. 9 , 1964 चार दरवेश 1965 एक साल पहले,मैं हूँ अल्लादीन , सिंदबाद, अलीबाबा और अल्लादीन , बेखबर,1966 यह ज़िन्दगी कितनी हसींन है,1968 कन्यादान ,वासना .1970 में इनकी आखिरी फिल्म रिलीज़ हुई Murder On Highway ब्रज से शादी करने के बाद उन्होंने फिल्मों को अलविदा कह दिया.नम्रता और कमल दो बच्चे थे इस जोड़ी के .कमल की पैदाइश 21 अक्टोबर 1971 को हुई थी,कमल ने 1992 में फिल्म रिलीज़ फिल्म बेखुदी से शुरुआत की थी इस फिल्म में उनकी हेरोइन थी काजोल,1993 रंग, (दिव्या भारती)1994 बाली उम्र को सलाम 1995, रॉक डांसर, हम सब चोर हैं,1996 हम हैं प्रेमी,1997 निर्णायक 1998 मोहब्बत और जंग कमल को कामयाबी नहीं मिली उन्होंने काम करना छोड़ दिया साल 2006 में टेलीविजन धारावाहिक कसम से वापसी की,साल 2007 में कमल निर्माता बने फिल्म थी Karkash जो आज तक रिलीज़ नहीं हुई ,साल 2007 में कमल ने अपने पिता की फिल्म विक्टोरिया नंबर 203जो 1972 में रिलीज़ हुई जो सुपर हिट साबित हुई थी का रीमेक किया यह फिल्म 31 अगस्त 2007 को रिलीज़ हुई थी इस फिल्म में एओम पूरी , अनुपम खेर , जिमी शेरगिल ,Preeti Jhangiani , जावेद जाफरी , जॉनी लीवर के साथ अपने कैरियर की शुरुआत करने वाली सोनिया मेहरा भी थी जो विनोद महरा (स्व.) की बेटी हैं.कमल ने इस फिल्म में विलंन का रोल किया था कमल की विक्टोरिया नंबर 203 को कामयाबी नहीं मिली थी ने लिसा जॉन से शादी की है Angath बेटे का नाम है, 21 अक्टूबर, 1990 कमल का बीसवा जन्मदिन था इस रात कमल अपने दोस्तों के साथ पार्टी में चले गये,और उस रात पता नहीं क्या हुआ बृज अपने लाइसेंसी रिवाल्वर से पहली गोली सईदा खान को मार दी दूसरी गोली का निशाना बनी नम्रता , बृज सदमे में थे खूब रोये और चिल्लाए और तीसरी गोली उन्होंने खुद को मारी "The first bullet hit his mother. The second hit his sister. And before the shock of his father carrying a gun could settle in, a bullet had ripped through his own neck as well. It was half past midnight on October 21, 1990, and being his 20th birthday, Kamal Sadanah even had friends over, one among them slowly raising his wrist, now a blooming hibiscus of horror, for a bullet was ensconced in it."
पता नहीं किस जूनून ने जो हावी था बृज पर उसने एक परिवार खत्म कर दिया और उस रात कमल घर पर होते तो उनका भी अंत हो चुका होता पर मारने वाले से बड़ा बचाने वाले होता है जाको राखे सैयाँ मार सके न को

Tuesday, October 9, 2012

कभी तनहाइयों में यूँ हमारी याद आएगी


हिंदी सिनेमा में  शमशाद  बेगम, सुधा  मल्होत्रा, कमल  बारोट, उषा  मंगेशकर, रुमागुहा ठाकुरता,जगजीतकौर,सुमनकल्याणपुर,शारदा ने मंगेशकर बैरियर पार करने की कोशिश की पर इन सब को कामयाबी नहीं मिली,ऐसा ही एक नाम और है मुबारक बेगम का,मुबारक बेगम भी इस बैरियर को पार नहीं कर सकी,मुबारक बेगम के बारे में बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं है मसलन वो कब चुरू से बम्बई आई पहली बार किस फिल्म के लिए गाना गया ? उनकी पैदाइश 1940 की बताई जाती है फिल्मों में आने से पहले वो औल इंडिया रेडियो पर गाती थी और 1953 में फिल्म दायरा के लिए उन्होंने गीत गाये थी, ज़ाहिर है की 13 साल की उम्र में तो यह सब नहीं किया होगा,मुबारक बेगंम की पैदाइश सुजान गढ़(चुरू) राजस्थान में हुई थी मुबारक बेगम ने औल इंडिया रेडियो से अपने कैरियर की शुरुआत की थी सुगम संगीत से और 1950 के दशक में हिंदी फिल्मों में गाने गाने का मौक़ा मिल गया,कभी  तनहाइयों  में  यूँ " केदार शर्मा की फिल्म :हमारी  याद आएगी (1961)गीत लिखा था केदार शर्मा ने,कम्पोजर थे  स्नेहल  भाटकर यह गीत हिंदी सिनेमा गीतों के इतिहास में  classic के तौर पर हमेशा के लिए दर्ज़ हो चुका है,मुबारक बेगम ने अपने  कैरियर की  शुरुआत शायद कमाल  अमरोही की फिल्म "दायरा"(1953) से  थी  "देवता तुम हो मेरा सहारा" इस गाने में उनके साथ थी लता मंगेशकर.1955 में बिमल राय की देवदास में उनको एसडी बर्मन "वो ना आएंगे  पलट कर" गाने का मौक़ा मिला, बिमल रॉय की मधुमति 1958 में हम हाल--दिल सुनायेगे,सलिल चौधरी कम्पोजर थे "मुझको अपने लगा लो  मेरे हमराही" फिल्म हमराही (1963)में मो.रफी के साथ  शंकर - जयकिशन कम्पोजर थे लगभग 50 साल के बाद भी यह गाना आज भी अच्छा लगता है.मुबारक बेगम ने  शंकर- जयकिशन, एसडी बर्मन, सलिल चौधरी, कल्याणजी - आनंदजी, खय्याम, नौशाद, मदन मोहन और नाशाद की धुनो पर गाने गाये, बॉलीवुड की  क्रूर आंतरिक राजनीति और "मंगेशकर बैरियर की वज़ह से वो मुकाम नहीं हासिल कर सकी जिसकी वो हकदार थी,1970 के आस पास को हार गयी,अब से कई साल पहले  जावेद अख्तर और  सुनील दत्त, (अब मरहूम ) ने मुबारक बेगम की सुधि ली और  मुंबई के जोगेश्वरी  में एक सरकारी मकान उन्हें एलाट करवा के दिया था जहाँ  वो  अपने बेटे और  बीमार बेटी शफक बानो के साथ रह रही हैं,जो  अपाहिज है और पार्किंसंस रोग से ग्रस्त है. उनका बेटा टेक्सी चलाता है,पिछले कुछ सालों से मुबारक बेगम खुद भी बीमार रहने लगी है,महाराष्ट्र सरकार ने अक्तूबर 2011 में  बीमार बुजुर्ग मुबारक बेगम के इलाज के लिए एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता मंजूर थी  "मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने  मुख्यमंत्री राहत कोष से एक लाख की वित्तीय सहायता दी थी ,मुबारक बेगम को सरकारी मकान के अलावा  1400/-रूपये की पेंशन भी जावेद अख्तर और सुनील दत्त, (अब मरहूम ) ने बंधवा दी थी, दत्त साहब के इंतकाल के बाद सुना है  की अक्सर जावेद अख्तर साहब मुबारक बेगम की खोज खबर लेते रहते है कुछ एन.आर.आई और लोग भी उनकी मद्दद कर देते है उनके बैंक (स्टेट बैंक ) अकाउंट में रूपये जमा करवा देते हैं,फिलहाल जो उनको मदद मिल रही है वो उनके हालत को देखते हुए नाकाफी है.साल 2004 में और 2006 में मुबारक बेगम के कई गानों के रिमिक्स एल्बम रिलीज़ हुए जिन्हें संगीत प्रेमियों ने हाथों हाथ लिया था,कई म्यूजिक कम्पनियों ने मुबारक बेगम के गाने रिमिक्स एल्बम की शक्ल में बाज़ार में में उत्तार दिए,मुबारक बेगम अपनी गजलों के लिए हमेशा याद रहेंगी,साल 1980 में अलबम "रामू तो दीवाना है" के लिए सवारिया तेरी याद में उन्होंने आखिरी बार गाया,कई सालों से वो मुफलिसी और गुमनामी की जिनगी जी रही हैं.   
मुबारक बेगम के कुछ मशहूर गाने 
"शमा  गुल  करके    जा "अरब का सितारा (1960)
"कभी  तनहाइयों  में  हमारी  याद  आएगी" (हमारी  याद  आयेगी 1961 )
"आयजी  आयजी  याद  रखना  सनम" (डाकू  मंसूर 1961)
"नींद  उड़  जाए  तेरी  चैन  से  सोने  वाले" (यह  दिल  किसको  दूं 1963)
"मुझ  को  अपने  गले  लगा लो " (हमराही 1963 )
हमें  दम दएके" ( यह दिल किसको दूं 1963) 
"ए  दिल  बता ' (खूनी  खज़ाना 1964 )
"कुछ  अजनबी  से  आप  हैं " शगुन 1964
"बे -मुरव्वत  बे -वफ़ा  बेगाना -  दिल  आप  हैं " (सुशीला  1966)
सावरिया  तेरी  याद  में "रामू तो दीवाना है (1980)
(C) संजोग वाल्टर