Thursday, March 11, 2010

"मयंक"

"देवा" की मौत भी हेड इन्ज़री की वजह से हुई थी और "मयंक" की भी,"मयंक" से कई साल पहले तब मुलाक़ात हुई थी जब वो ऍफ़.एस.एन.में काम कर रहे थे,कुछ महीनों के बाद वे प्रिंट में स्टिल फोटोग्राफर काम करने लगे और कड़े संघर्ष के बाद अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे,अपनी बच्ची के एडमिशन के लिए जब भी मुलाकात होती थी बात करते थे,"मयंक" की माताजी का देहांत 2009 में हुआ और पिताजी की भी तबियत ख़राब है यह दूसरा एक्सीडेंट था,कई दिन कोमा में रहे फिर वो अपने कई साथीयों को वो गम दे गये जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी,अलविदा दोस्त." है अपना दिल तो आवारा " यह अब सुनने को नहीं मिलेगा."मयंक"के परिवार को भगवान् यह गम सहन करने की शक्ती प्रदान करे

Wednesday, March 10, 2010

लोकल न्यूज़

एम् 7,1000.3000,3500.वी.एच.एस.पर शूट होता था,फिर एडिटिंग और वी.सी. आर.से कोपी,जब केबिल पर टेलीकास्ट हुआ तो ट्रेकिग आउट हो गयी.फिर CD और DVD का इस्तेमाल होने लगा वी.एच.एस.कैमरे कहीं पीछे छूट गये, आधे घंटे के बुलेटिन बदल गये,लोकल न्यूज़ का दबदबा भी खत्म हो गया,जो नियम क़ानून बने थे वो भी खत्म हो गये,साल 2002 में लखनऊ में नियम क़ानून बने थे जिनका पालन 30 जून 2004 तक होता रहा,तब की सरकार के फारमान के खिलाफ माथुरा और आगरा से हाई कोर्ट में रिट हुई.और उन्हें स्टे मिल गया लखनऊ से कोर्ट में गया और १९ महीने की लम्बी लड़ाई के बाद "एस.एस..न्यूज़" को भी स्टे मिल गया 14 फरवरी 07 को मेने लोकल न्यूज़ से खुद को दूर कर लिया.अब रीजनल और नेशनल चैनल,DTH लोकल न्यूज़ के सामने बाकी कसर खुद लोकल न्यूज़ चलाने वालों ने पूरी कर दी,लोकल न्यूज़ का गोल्डेन वक्त २००७ तक रहा अब इन लोकल न्यूज़ को कौन देखता है ? और यह कहाँ चलती है ? हाँ 1-2, लोकल न्यूज़ आज भी कुछ बेहेतर कर रही हैं (और है)

Monday, March 1, 2010

HOLI

होली आयी भी और चली भी गयी रंगों के साथ न जाने कितने दर्द दे गयी एक बार फिर होली पर "शराब" की वजह से ना जाने कितने लोग मौत का शिकार हो गये,कुछ बने कच्ची शराब का निशाना और कुछ ने सडक हादसों में अपनी जान गवा दी,आखिर कब तक यह सिलसिला जारी रहेगा ?