हैलन जिरग रिचर्डसन का जन्म 21 नबंवर 1939,बर्मा ( अब म्यांमार) में हुआ था,द्वितीय विश्व युद्ध के समय जापान ने बर्मा पर कब्ज़ा कर लिया था इसी दौरान हेलन और उनका परिवार बम्बई आ गया। हैलन के वालिद पिता एंग्लो-इंडियन थे, वालिदा बर्मीज थी, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इनके वालिद की मौत हो गई और हैलन अपनी माँ भाई रोजर और बहन जेनिफर के साथ बम्बई आ गयी थी 1943 में, यहाँ इस परिवार की मदद उस जमाने की मशहूर डांसर कुक्कू ने की हैलन की माँ ट्रेंड नर्स थी,लिहाजा उनकी ज़ल्दी नौकरी मिल गयी,लेकिन उनकी तनखाहचार लोगों के लिए पूरी नही पड़ रही थी,हैलन ने अपनी पढाई छोड़ दी और अपने परिवार का हाथ मज़बूत करने के लिए निकल आई घर से बाहर कुक्कू की मदद से फिल्मों में उन्हें कोरस डांसर के रूप में काम मिला,वो 1951 में "शबिस्तां" और "आवारा" में नजर आई थीं। हैलन छोटे डांस में नजर आने लगी थी उनकी भाई बहन की पढाई जारी रही,हैलन की ज़िंदगी अब बदलने जा रही थी और साल था 1958 इसी साल रिलीज़ हुई शक्ती सामंत की 'हावडा ब्रिज' जिसके हीरो थे अशोक कुमार हेरोइन थी मधुबाला,इस फ़िल्म में उनपर फ़िल्माया यह गीत ‘मेरा नाम चिन-चिन चू’ उन दिनों दर्शकों के बीच काफ़ी मशहूर हुआ था । इस गाने को गया था गीता दत्त ने,गीता दत्त ने संगीतकार ओ.पी.नैय्यर की धुन पर जम कर गाया था. हैलन ने मणिपुरी,भरतनाट्यम, कथक आदि शास्त्रीय नृत्यों में भी शिक्षा हासिल की. साठ के दशक में हैलन ने बतौर अभिनेत्री अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करने लगी। इस दौरान उन्हें अभिनेता संजीव कुमार के साथ फ़िल्म ‘निशान’ (1965 ) में काम करने का मौक़ा मिला, लेकिन दुर्भाग्य से यह फ़िल्म सिनेमा घर में चल नहीं पाई। साठ के दशक में गीता दत्त और सत्तर के दशक मे आशा भोंसले को हैलन की आवाज़ मानी जाता था । आशा भोंसले ने हेलन के लिये तीसरी मंजिल में ‘ओ हसीना जुल्फों वाली’ फ़िल्म कारवां में ‘पिया तू अब तो आजा’ मेरे जीवन साथी में ‘आओ ना गले लगा लो ना’ और डान में ‘ये मेरा दिल यार का दीवाना’ गीत गाये। हेलन ने अपने पाँच दशक लंबे सिने करियर में लगभग 500 फ़िल्मों में अभिनय किया। इतने सालों के बाद भी उनके नृत्य का अंदाज़ भुलाए नहीं भूलता है। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘शोले’ में आर. डी. बर्मन के संगीत निर्देशन में हैलन के ऊपर फ़िल्माया गीत ‘महबूबा महबूबा’ आज भी सिनेप्रेमियों को झूमने पर मजबूर कर देता है। हालांकि सत्तर के दशक में नायिकाओं द्वारा ही खलनायिका का किरदार निभाने और डांस करने के कारण हेलन को फ़िल्मों में काम मिलना काफ़ी हद तक कम हो गया था । वर्ष 1979 में महेश भट्ट के निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘लहू के दो रंग’ में अपने दमदार अभिनय के लिए हेलन को सवश्रेष्ठ सहनायिका के फ़िल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘हेलन की नृत्य शैली’ से प्रभावित बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री साधना ने एक बार कहा था, "हेलन जैसी डांसर न तो पहले पैदा हुई है और ना ही बाद में पैदा होगी।"शक्ती सामंत की "पगला कही का "(1970 ) में बेहद शानदार रोल मिला था. गुमनाम में उनके रोल के लिए उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नामकित भी किया गया था,हिन्दी फिल्मों में डांस के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में शानदार रोल किये थे,क्लाइमेक्स में विलन की गोली जब हीरो पर चलती थी तब हीरो के सामने आकर वो गोली का निशाना बन जाती थी,हीरो की बाँहों में दम तोड़ते हुए इजहारे मोहब्बत करना जैसे रोल हैलन ने खूब किये,कई फिल्मों की रिलीज़ अटक जाती थी,वितरक निर्माता से पूछते थे इसमें हैलन का डांस है ? कई बार फिल्म रिलीज़ करवाने के लिए निर्माता हैलन का डांस डालते थे,1957 से 1973 तक हेलेन फिल्म निदेशक पी.एन.अरोड़ा के साथ लिव इन रिलेशन में रही ,यह रिश्ता उनके 34 वें जन्मदिन पर 21 नवंबर, 1973 को टूट गया,पी.एन. अरोड़ा 16 साल की हेलेन की आमदनी को लुट लिया था जब उन्होंने पी.एन.अरोड़ा का साथ छूटा तब हेलेन के हाथ खाली थे ,निर्माता पी.एल.अरोरा के साथ लगभग 17 सालों का रिश्ता जब उनसे टूटा तो हैलन फुटपाथ पर थी उनकी हाथ में कुछ नहीं था,उनकी सालों की कमाई पर डाका पड़ चुका था, हैलन ने फिर नहीं हारी हिम्मत और फिर से जल्दी ही खुद को फिर साबित कर लिया. लेखक सलीम खान ने हैलन की मदद की और कई फिल्मों में हैलन को दमदार रोल मिलने लगे शोले में ‘महबूबा महबूबा’ गीत उनके हिस्से में आया, ईमान धर्म (1977 ) में वो अमिताभ बच्चन के साथ नायिका बन कर आई थी,1979 में लहू के दो रंग में उनके हीरो थे विनोद खन्ना जो पति और बेटे की भूमिका में थे उनके साथ, डान, दोस्ताना में भी उनके रोल सराहे गये गये थे.1981 में उनोने सलीम खान से शादी कर ली और 1983 में फिल्मों में काम करना छोड़ दिया,1981 में,उन्होंने एक लड़की, अर्पिता को अपनाया कई साल के बाद वो ख़ामोशी The Musical (1996) में दिखाई थी दादी के रोल में हम दिल दे चुके सनम .(1999) में वो अपने सौतेले बेटे सलमान खान की फ़िल्मी माँ बन कर आई और मोहब्बतें 2000 में आखिरी बार बड़े परदे पर नजर आई थी.साल 2009 में वो छोटे परदे पर Indian Dancing Queen (Dance Contest) के सेमी फ़ाइनल और फ़ाइनल के ज़ज़ के रूप में नज़र आई थी Helen appeared as a Judge in the semi finals and finals of the 2009. हेलन पर फ़िल्माये लोकप्रिय गाने "मेरा नाम चिन चिन चू, रात चांदनी मैं और तू हल्लो मिस्टर हाऊ डू यू डू. . . "- हावडा ब्रिज (1958) 'पिया तू अब तो आजा...'- कारवां (1971) ‘ये मेरा दिल यार का दीवाना’ गीत गाये'- डॉन(1978) "मूंगडा मूंगडा मैं गुड की ढली, मंगता है तो आजा रसिया नहीं तो मैं ये चली"- इंकार (1978) "महबूबा महबूबा"-शोले (1975) उल्लेखनीय फ़िल्में हैलन की कुछ मशहूर फ़िल्में थी आवारा, मिस कोको कोला, यहूदी, हम हिंदुस्तानी, दिल अपना और प्रीत पराई, गंगा जमुना, वो कौन थी, गुमनाम, ख़ानदान, जाल, ज्वैलथीफ, प्रिस, इंतक़ाम, द ट्रेन, हलचल, हंगामा, उपासना, अपराध, अनामिका, जख्मी, बैराग, खून पसीना, अमर अकबर ऐंथोनी., द ग्रेट गैम्बलर, राम बलराम, शान, कुर्बानी, अकेला, खामोशी, हम दिल दे चुके सनम, मोहब्बते, मैरी गोल्ड. पुरस्कार "लहू के दो रंग" (1979)- सर्वश्रेष्ठ सहअभिनेत्री का फ़िल्मफेयर पुरस्कार। 2006 में जैरी पिंटो ने हेलन के ऊपर एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक था "द लाइफ एण्ड टाइम्स ऑफ इन एच-बोम्बे", जिसने 2007 का सिनेमा की बेहतरीन पुस्तक का राष्ट्रीय फ़िल्म अवार्ड जीता। 2009 में हेलन को पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया है।
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