सितम्बर 2011 में लखनऊ जिला प्रशासन ने तारीखी सतखंडे की नयी फोटो ज़ारी करते हुए दावा किया था की जल्दी सतखंडे की नयी शक्लो सूरत कुछ ऐसी होगी धीरे धीरे पूरा साल बीत गया पर कोई बदलाव नहीं हुआ,अपने दावे को लखनऊ जिला प्रशासन भूल गया गया,या डर गया सतखंडा के मिथक से ? कहते हैं सतखंडा बादशाह नवाब मुहम्मद अली शाह को रास नहीं आया,इस मिथक पर जब तक अँगरेज़ रहे वो भी चलते रहे,पर मेने तो सुना है डर के आगे जीत है जिसने भी सतखंडा छुआ वो गया सितम्बर 2011 में लखनऊ जिला प्रशासन ने जो योजना बनाई उसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका मार्च 2012 में सरकार बदल गयी सब कुछ बदल गया
सतखंडा जिसे ‘Seven stories’ is भी कहा जाता है,हुसैनाबाद में फ्रेंच और इटालियन architecture से इसकी तामीर शुरू हुई,पर सतखंडा सिर्फ चार मंजिल तक ही पहुँच सका तब अवध के बादशाह नवाब मुहम्मद अली शाह का इंतकाल हो गया था 17 May 1842 के दिन, बादशाह के मुहमद इंतकाल के बाद सतखंडा वीरान हो गया किसी ने भी उधर नहीं देखा बादशाह नवाब मुहम्मद अली शाह के इंतकाल के 15 साल के बाद अवध पर भी अंग्रेजों का कब्ज़ा हो गया था बादशाह नवाब मुहम्मद अली शाह ने सतखंडा का तामीर इस लिए करवाया था की की बेगमें चाँद देख सके
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