लखनऊ, हुसैनाबाद घंटा घर की घडी की सुइयां एक बार फिर थम गयी है,घंटों की आवाज़ भी थम गयी है,बताया जाता है की घड़ी की मरम्मत का काम चल रहा है,हुसैनाबाद मुबारक ने सर जार्ज कूपर की याद में इस घंटा घर की तामीर करवाई थी साल 1881 में ,तब हुसैनाबाद मुबारक के ट्रस्टी लाला ब्रिज भूकन लाल हुआ करते थे,इस घडी की तामीर लन्दन के जेम्स डब्लू वेम्सन डव्लू ने की थी,कई साल तक यह घड़ी चलती रही,पर बीच में यह बंद हो गयी थी,साल 2010 में को जिंदा करने की कवायद शुरू की गयी,साल 2011 में हुसैनाबाद घंटा घर की घडी चलने लगी थी.
ब्रिटिश हुकूमत में घंटा घर में मकेनिकल घडी लगती थी जिनकी प्लेट चीनी की होती थी और नम्बर रोमन में लिखे होते थे,1994 तक पुरे देश में इन घड़ियों की मरम्मत का काम सिर्फ धर्म पाल रहेजा करते थे, वो ही इन घड़ियों (मकेनिकल) के मास्टर थे,साल 2000 में धर्म पाल रहेजा की मौत हो गयी उनकी मौत के साथ पूरे देश के घंटा घर जिनमें मकेनिकल घड़ियाँ थी की भी मौत हो गयी,साल 2004 के बाद इन घड़ियों की मरम्मत का जिस कम्पनी को मिला उसने घंटा घर जिंदा तो किये पर मकेनिकल घडी को क्वार्टज़ में तब्दील कर दिया,अब किसे है फुर्सत यह देखने की घडी मकेनिकल है या क्वार्टज़ ?
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