Tuesday, February 9, 2010
एक था अस्पताल
कालरा अस्पताल,कुत्ते वाला अस्पताल,घोड़ा अस्पताल,हैजा अस्पताल, जिसकी जैसी सहूलियत उसने इस अस्पताल का नाम रख लिया,दरअसल इस का नाम था " कॉलरा होस्पीटल" और सरकारी भाषा में इसे " राजकीय संक्रामक रोग चिकित्सालय" के नाम से जाना जाता था,एक दौर था जब 6 महीने कमरुद्दीन बाबू डे ड्यूटी करते थे और शुक्लाजी NIGHT ड्यूटी और बाकी कर्मचारी और अधिकारी टहलने कभी 2 आ जाते,1991 में उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के समय पुराने लखनऊ में बारात में लोग फ़ूड POISIONING का शिकार हो गये,माहौल था चुनाव सब दल जुट गये "समाज सेवा" में मरीज़ अस्पताल आने लगे थे पर यहाँ तो ताला पड़ा था,करीब 200 लोग बीमार,आनन् फानन में सब कुछ बदल गया क्लास 3,4 के अलावा सब बदल दिए गये रात होते-2 निजाम भी बदला और सूरत भी और सुबह ऐसा लग रहा था की कोई सोती राजकुमारी जाग गयी हो,JNERATER AMBULANCE के साथ ड्राइवर भी,यह सुधार वादी आन्दोलन लगभग 12 साल चला अब तक इस अस्पताल के आदी मरीज़ भी खुश थे,2003 में यह अस्पताल,K.G.M.U.को सौंपे जाने का फैसला हो गया और धीरे से सब कालेज के पास चला गया अस्पताल से फिर दूर हो गये थे मरीज़ और अब पुरानी इमारत को गिराकर नये भवन की रुपरेखा बन चुकी है,कभी यह पुलिस होस्पीटल था और तब नबी उल्लाह रोड का नाम बुलंद बाग़ रोड हुआ करता था आज़ादी के बाद तब की MUNICIPALITY इसकी देख रेख करती थी,बाद में इसे राज्य को दे दिया गया,आज लगभग यह अस्पताल खाली हो चुका जिनकी कई पुश्तों ने इस अस्पताल में अपना योगदान दिया वे सभी जा चुकें हैं (जारी है )
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