Wednesday, February 17, 2010
"लाठी"
वैसे तो बात बहुत लम्बी है,पर कही न कही से शुरुआत होनी थी सूबे की राजधानी लखनऊ में विधान सभा गेट न.३ के सामने धरना स्थल हुआ करता था,अक्सर प्रदर्शनकारी विधान सभा मार्ग जाम कर दिया करते थे जाम खुलवाने और राज भवन व् मुख्यमंत्री आवास की और जाने से रोकने के लिए पुलिस द्वारा "लाठी" का इस्तेमाल होता रहा कभी प्रदर्शनकारीयों को ठोकने के अलावा और कोई चारा नहीं था कभी अधिकारी अपनी खिज़ मिटाने के "लाठी" का इस्तेमाल करते रहे, अक्सर राहगीर "लाठीचार्ज" की ज़द में आ जाते, कभी लाठी चलती नहीं पर घंटों विधान सभा मार्ग जाम रहता कई अस्पताल,दफ्तर,स्कूल आने जाने वाले परेशान होते.शासन से फरमान जारी हुआ और धरना स्थल शहीद स्मारक को बना दिया गया.जबकी यह रास्ता है मेडीकल यूनिवर्सिटी,ट्रौमा सेंटर.के अलावा कई अस्पताल इसी रास्ते पर हैं,हाई कोर्ट के साथ कई दफ्तर जाने के लिए सिर्फ येही एक रास्ता है,पर अब यहाँ भी जाम लगने लगा और अक्सर वाटर कैनन का इस्तेमाल होता और "लाठीचार्ज" होता है.जिस मकसद के चलते विधान सभा मार्ग से धरना स्थल हटाया गया था वो पूरा नहीं हुआ.जब आम लोगों को योंही घंटों जाम में फसें रहना है तो विधान सभा मार्ग मार्ग में क्या बुराई थी ? १६ फरवरी को कोंग्रेस के प्रदर्शन के दौरान जो गलतीयां की गयी क्या उन्हें दुबारा नहीं दोहराया नहीं रिपीट किया जाएगा ? अब लोकतंत्र है. तो धरना प्रदर्शन तो होगा ही फिर "लाठी" का सहारा क्यों ? शायद भारत में २ पार्टीयाँ "लाठी" का मज़ा नहीं जानती है,1बहुजन समाज पार्टी 2 भारतीय जनता पार्टी,बहुजन समाज पार्टी की और से वैसे तो ऐसे कोई कार्यक्रम नहीं होते अगर होते हैं उस वक्त वो सत्ता में होती है, कार्यक्रम कामयाब रहे यह जिम्मेदारी प्रशासन की होती है,भारतीय जनता पार्टी के नेता सज्जन कार्यकर्ता सज्जन कुल मिला कर विद्वानों की पार्टी भला कौन यह गुनाह करेगा की भारतीय जनता पार्टी के सज्जन कार्यकर्ता पार्टी दफ्तर से निकल कर हजरतगंज चौराहे पर जाम प्रदर्शन करें और वापस पार्टी दफ्तर फिर कुछ लड़के पुलिस पर पतथर फेंकें मौके पर मौजूद अफ्सारान मिडिया को देखकर कर कहते है लड़के हैं शैतानी कर रहें हैं,भाई ऐसे ही शैतानी सब को करने दें,खैर बात हो रही थी कुछ और बेहतर होता की धरना स्थल शहर से बाहर हो
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
sanjog bhai ya baat aap ki ekdam sahi hai bahut acha likha hai hum toh bahut pasand aaye hai ...
ReplyDeleteSanjogji,
ReplyDeleteBilkul sahi farmaya hai aapne.aam logon ki suvidha ka khyal zarur rakha jana chhiye.
Jab Jansangh tha tab bhi chotey -2 ladke mahilaon ki sari kheench kar Deepak ke liye vote mangtey th,unki yahi tahzeeb hai.