Tuesday, July 10, 2012

टिकैत राय


अवध की गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल शायद कही मिले,अवध के नवाबों और उनकी बेगमों ने मंदिर तामीर करवाए तो हिन्दू राजाओं ने रौज़े,इमामबाड़े,और मस्जिदों की तामीर करवाई,इतिहास के इन्ही पन्नों में दर्ज है "महाराजा टिकैत राय"का नाम जिनके जिर्क के बिना अवध की गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल अधूरी रहेगी, "महाराजा टिकैत राय " ने पुराने लखनऊ में एक मस्जिद की तामीर करवाई जिसे टिकैत राय की मस्जिद के नाम से जाना जाता है,और इस इलाके को टिकैतगंज के नाम से जाना जाता है मस्जिद और यह मोहल्ला आज भी कायम है, "महाराजा टिकैत राय " ने लखनऊ हरदोई मार्ग पर रहमान खेडा के नजदीक बेहटा नदी के किनारे भगवान् शिव के मंदिर की स्थापना की यह साल था 1795. बेहटा नदी पर बने पुराने पुल जब जर्ज़र हो गया तो पास में एक और पुल बना दिया गया,पुराने पुल पर दो भव्य प्रवेश द्वार आज भी कायम है,यह मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित घोषित किया जा चुका है,इसी दौरान पुराने लखनऊ के में शीतला माता के नाम पर मेहँदी गंज में मंदिर का निर्माण करवाया जहाँ आज भी होली के आठवें दिन मेला लगता है, महाराजा टिकैत राय बहादुर (1760–1808 ) कायस्थ परिवार से थे,1791- 1796 के बीच महाराजा टिकैत राय बहादुर अवध में दीवान थे Asaf-u-daula.के शासन काल में "महाराजा टिकैत राय ने लखनऊ में तब के भदेवा के जंगल में तालाब की तामीर करवाई,यह इलाका अब राजाजी पुरम के नाम से जाना जाता है,अब यह तालाब सिर्फ नाम भर का ही रह गया है,तालाब की ज़मीन पर कालोनी खड़ी हो गयी,इसी तालाब के करीब सरकारी कर्मचारियों की आवासीय कालोनी बनी जिसे टिकेत राय तालाब कालोनी के नाम से जाना जाता है, इस तालाब को ख़ूबसूरती देने के लिए लखनऊ के तब के सांसद अटल बिहारी बाजपेइ ने यहाँ MUSICAL FOUNTEIN बनवा दिया मंशा थी की यह तालाब अच्छा लगेगा..पर अटल जी की इस कोशिश को भी भुला दिया गया.

No comments:

Post a Comment