Friday, July 20, 2012

निम्मी

निम्मी,1950 और 1960 के दशक की मशहूर अदाकारा रही हैं उस दौर के सभी नामचीन हीरो उनके साथ काम करने के लिए बैचैन रहते थे,उस दौर की हर सामाजिक फिल्म में निम्मी की मौजूदगी रहती थी.निम्मी का असली नाम .नवाब बानू है इनका जन्म आगरा में हुआ था १८ फरवरी १९३३ को,निम्मी की माँ का नाम वहीदन था जो अपने दौर की मशहूर गायिका,अभिनेत्री थी,वालिद अब्दुल हकीम,मिलेट्री में ठेकेदार थे.जब निम्मी केवल नौ वर्ष की थी तब माँ का इंतकाल का हो गया था,और तब उनके वालिद ने Abbottabad (अब पाकिस्तान में)भेज दिया था रहने के लिए दादी के पास. निम्मी के वालिद आगरा छोड़ मेरठ आ गये थे 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद शरणार्थियों की भीड़ में निम्मी औरउनकी दादी भी थी.बरहाल निम्मी दादी के साथ बम्बई आ गयी जहाँ उनकी मौसी ज्योति रहती थी जो की हिंदी फिल्मों में काम करती थी अब बम्बई था नया आशियाना जहाँ एक रिफ्यूजी लडकी इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए तैयार थी,1948 में, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता-निर्देशक महबूब खान, सेंट्रल स्टूडियो बम्बई में अपनी फिल्म अंदाज़ की शूटिंग कर रहे थे, अंदाज़ में दिलीप कुमार,राज कपूर के साथ थी नर्गिस पहली और आखिरी बार इन तीनों ने एक साथ काम किया था,निम्मी भी यहाँ मौजूद थी वो अक्सर शूटिंग देखने आती थी.यही उन्हें राज कपूर ने देखा उन दिनों राज कपूर बरसात (1949) के लिए एक नए चेहरा चाहिए था २ण्ड लीड रोल के लिए,अंदाज के सेट पर निम्मी शर्मीला व्यवहार देखने के बाद, बरसात में अभिनेता प्रेम नाथ के साथ निम्मी को ले लिया बरसात में निम्मी हृदयहीन शहरी प्रेम नाथ आदमी को प्यार करती है,निम्मी ने मासूम पहाडी गड़ेरिन की भूमिका निभाई थी. बरसात ने बॉक्स आफिस पर इतिहास बनाया बरसात को अभूतपूर्व महत्वपूर्ण और व्यावसायिक सफलता मिली थी. स्थापित और लोकप्रिय सितारों नरगिस, राज कपूर और प्रेमनाथ की मौजूदगी के बावजूद, निम्मी ने अपना किरदार बखूबी निभाया था,फिल्म के लोकप्रिय शीर्षक गीत "बरसात में हम से मिले तुम"जिया बेक़रार है,पतली कमर है सभी निम्मी पर फ़िल्माये गये थे,बरसात में पहली बार हिन्दी फिल्मों में बलात्कार का सीन सामने आया और यह बलात्कार क्लासिक बन गया. फिल्म का चरमोत्कर्ष भी नवेली अभिनेत्री के इर्द - गिर्द घूमता रहा. बरसात की भारी सफलता ने निम्मी को स्टार बना दिया राजकपूर (भवंरा) , देव आनंद (सज़ा, आँधियाँ) जैसे चोटी के नायकों के साथ काम किया,दीदार (1951) और दाग (1952) जैसी फिल्मों की सफलता के बाद दिलीप कुमार के साथ बहुत लोकप्रिय और भरोसेमंद स्क्रीन जोड़ी साबित हुई. नरगिस,जिनके साथ वह साथ बरसात और दीदार में आई मधुबाला (अमर), सुरैया (शमा), गीता बाली (उषा किरण), और मीना कुमारी (चार दिल चार राहें) के साथ काम किया. निम्मी ने फिल्म बेदर्दी (1951) जिसमें काम किया अपने खुद के गीत गाए,हालांकि यह क्रम जारी नहीं रखा,महबूब खान आन (१९५२) में दिलीप कुमार,प्रेम नाथ और नादिरा के साथ लिया नादिरा की आन पहली फिल्म थी,आन भारतकी पहली टेक्नीकलर फिल्म थी इसके अलावा फिल्म का बजट बहुत बड़ा था यह फिल्म भारत के साथ विदेश में एक साथ रिलीज़ की गयी थी इस फिल्म के वक्त निम्मी की लोकप्रियता का यह आलम था कि इस फिल्म के पहले संपादित फिल्म फाइनेंसरों और वितरकों को दिखाया गया था, उन्होंने शिकायत की कि निम्मी कस चरित्र बहुत जल्दी मर गया है लिहाज़ा आन में सपना फिल्माया गया ताकि निम्मी ज्यादा वक्त परदे पर दिखें आन में निम्मी की मौत और नृत्य लोकप्रिय थे यह पहली हिंदी फिल्म जिसका अत्यंत भव्य प्रीमियर लंदन में हुआ था यहाँ निम्मी भी मौजूद थी आन का अंग्रेजी संस्करण Savage Princess. निम्मी ने Errol Flynn सहित कई पश्चिमी फिल्मी हस्तियों से मुलाकात की. जब फ्लिन उसके हाथ चुंबन करने का प्रयास किया वह इसे दूर खींच लिया, और कहा , "मैं एक भारतीय लड़की हूँ, तुम चुंबन नहीं कर सकते हो!" यह घटना सुर्खियों में आ गयी और लन्दन के प्रेस ने "भारत की unkissed लड़की" के रूप में निम्मी को पेश किया आन की कामयाबी के बाद महबूब खान ने कहा कि अपनी अगली फिल्म अमर (1954) में निम्मी को लिया फिल्म में दिलीप कुमार, मधुबाला भी थे,अमर में भी बलात्कार का सीन निम्मी पर फिल्माया गया, हालांकि फिल्म को व्यावसायिक सफलता नहीं मिल सकी थीनिम्मी ने डंका (1954) के ज़रिये प्रोडक्शन हाउस खोला,कुंदन (1955) बनाई जिसमें सोहराब मोदी के साथ नए नवेले सुनील दत्त भी थे कुंदन में,निम्मी माँ और बेटी की यादगार दोहरी भूमिका निभाई थी,उड़न खटोला (1955), दिलीप कुमार के साथ पांच फिल्मों के बाद आखिरी फिल्म थी,यह उनके कैरियर की सबसे बड़ी बॉक्स ऑफिस सफलता थी,उड़न खटोला के गाने आज भी लोकप्रिय हैं, 1956 में बसंत बहार और भाई भाई के साथ दो बड़ी सफलता थी. 1957 में, 24 साल की उम्र में, निम्मी को भाई भाई में निभाई भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का आलोचक पुरस्कार प्राप्त किया. १९५० के दशक में, निम्मी प्रसिद्ध निर्देशकों चेतन आनंद (अंजलि), के.ए. अब्बास (चार दिल चार राहें) और विजय भट्ट अंगुलिमाल के साथ काम किया.निम्मी ने उस दौर में जोखिम भी लिए कुछ गलतियाँ भी की,चार दिल चार राहें (1959) वेश्या के रूप में नज़र आई,जबकि बीआर चोपड़ा की "साधना" (1958), को उन्होंने खारिज कर दिया,1963 में "वो कौन थी"भी ठुकरा दी, "साधना" ने वैजयन्ती माला को चमकाया और वो कौन थी ने साधना को चमकाया दोनों बार निम्मी साधना से हारी एक बार साधना फिल्म से तो दूसरी बार साधना हेरोइन से,निम्मी फिर गलत फैसला कर चुकी थी अब मौक़ा था हरनाम सिंह रवैल की मेरे महबूब का यह बड़े बजट की मुस्लिम सब्जेक्ट पर बनने वाली रंगीन फिल्म थी,जो रोल साधना ने निभाया वो पहले निम्मी को मिला था निम्मी का रोल बीना राय को मिला निम्मी फिर चुक गयी फिल्म की कामयाबी के बाद उन्होंने कहा था "Initially I was offered Sadhana's role and Bina Rai was to do my role. However I opted for the role of the sister as I felt it was the back bone of the story and had scope for acting. Though it didn't turn out the way I had visualised it." In rejecting the female lead, opposite a hugely popular leading man, Rajendra Kumar, for what was ostensibly a character role, Nimmi lost a valuable chance at making the successful transition into the new phase of films that were then evolving. The role Nimmi rejected was played by Sadhana and was instrumental in placing her among the most successful heroines of the 1960s. Nimmi did receive a Filmfare award nomination for best supporting actress for her performance and Mere Mehboob went on to be one of the biggest hits of 1963 at the box-office. 1960 के दशक में, साधना, नंदा, आशा पारेख, माला सिन्हा और सायरा बानो जैसी मॉड अभिनेत्रियों की नई नस्ल हिंदी फिल्मों में नायिका बन कर आने लगी थी नायिका की अवधारणा बदल रही थी, पूजा के फूल (1964) में अंधी लड़की का रोल और अशोक कुमार के साथ आकाशदीप (1965) में मूक पत्नी रिलीज़ हुई,एक स्टार के रूप में निम्मी की लोकप्रियता कम होने लगी थी.उन्होंने शादी कर फिल्मों को अलविदाकह दिया,के. आसिफ की लव & गौड़ थी उनके पास जो लैला-मजनू की कहानी पर आधारित थी, मुगल - ए - आजम (1960) के बाद के.आसिफ लव & गौड़ पर काम कर रहे थे निम्मी लैला के रोल में थी और गुरु दत्त मजनू के रूप में ,पर गुरु दत्त की ख़ुदकुशी के बाद इस फिल्म की शूटिंग पर पड़ाव पड़ गया,संजीव कुमार को मजनू के रोल में लिया गया काम शुरू हुआ कुछ दिन के बाद के.आसिफ का इंतकाल हो गया,अब इस फिल्म को मनहूस मान लिया गया.आधी अधूरी फिल्म 6 जून 1986 को रिलीज़ हुए तब संजीव कुमार इस दुनिया में नहीं थे.क.आसिफ की बेवा अख्तर आसिफ ने इसे रिलीज़ करवाया था.एक बेहतरीन फिल्म जो टेक्नीकलर में थी पहले ही दिन दम तोड़ गयी सू विवाद और अटकलों से घिरी थी निम्मी की जाती जिन्दगी दिलीप कुमार,के साथ निराधार अफवाहें और और कहानियां सामने आई थी कहते हैं की दिलीप कुमार, के निम्मी और मधुबाला दोनों से रिश्ते थे जबकी निम्मी का प्यार थे लेखक एस अली रजा, जिन्होंने उनकी फिल्मों के लिए संवाद लिखे के बरसात (1949), आन (1952) और अमर (1954). एस अली रजा बॉलीवुड के प्रसिद्ध कहानी, संवाद और पटकथा लेखक आगाजानी (कश्मीरी ) के भतीजे थे,दोनों लखनऊ से थे. एस.अली रजा की क 1 नवंबर 2007 को 85 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी थी, विधवा निम्मी अब तनहा मुबई में रह रही है. जून 1991 में सुर्खियों में निम्मी फिर से तब आई जब यह खबर आई अभिनेत्री किमी काटकर निम्मी की बेटी है, लेकिन कोई और सबूत सामने नहीं आया यह दावा इसलिए भी किया गया होगा की है, किमी काटकर कस का चेहरा" निम्मी से मिलता जुलता है आज कल निम्मी के पास तनहाई के सिवा कुछ भी नहीं है.निम्मी को 1950 के दशक की महान अग्रणी महिलाओं में से एक माना जाता है. बरसात (1949) वफ़ा , राज मुकुट, जलते दीप (1950) सज़ा (1951) दीदार (1951) बुज़दिल (1951) बेदर्दी (1951) बड़ी बहू (1951) उषा Kiron (1952) दाग (1952) आँधियाँ (1952) आन (1952) हमदर्द (1953) अलिफ़ लैला (1953) Aabshar (1953) प्यासे नैन (1954) कस्तूरी (1954) डंका (1954) अमर (1954) उड़न खटोला (1955) समाज (1955) कुंदन (1955) चार पैसे (1955) भागवत महिमा (1955) राजधानी (1956) भाई भाई (1956) बसंत बहार (1956) अंजलि (1957) छोटे बाबू (1957) सोहनी महिवाल (1958) पहली रात (1959) चार दिल चार राहें (1959) अंगुलिमाल (1960). शम्मा (1961) मेरे मेहबूब (1963) पूजा के फूल (1964) दाल में काला (1964) आकाशदीप (1965) लव&GOD (1986)

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